संवादसहयोगी,हुलासगंज(जहानाबाद):
बसंतऋतुकेआगमनकेसाथहीपूरेप्रकृतिऔरमानवमेंनवजीवनकासृजनहोनेलगताहै।फगुआकारंगलोगोंपरचढ़नेलगताहै।गांवकेमंदिरोंऔरदलानोंपरमाघशुक्लपक्षश्रीपंचमीसेफगुआगायनप्रारंभहोजाताथा,जोहोलीकेसमापनकेएकसप्ताहबादतकलगातारचलताथा।इसदौरानगायनमंडलीकेसाथ-साथग्रामीणबच्चोंमेंउत्साहऔरआनंदकावातावरणदेखनेकोमिलताथा।लेकिनबदलतेसामाजिकपरिवेशनेग्रामीणसंस्कृतिकीरूपरेखाकोहीबदलकररखदिया।अबतोहोलीकेदिनभीहोलीकागायनऔरआनंदतथाउत्साहलोगोंमेंनहींदिखता।फगुआगायनकेआनंदमेंडूबकरलोगअपनीसारीसमस्याओंकोभूलजातेथे।तबलोगोंमेंआपसीप्रेमऔरसौहार्दकाफीगहरारहताथा।कहींकिसीसेमनमुटावहुआभी,तोहोलीहीएकऐसात्योहारथा,जबलोगसारेगिले-शिकवेभूलकरएकदूसरेकोगलेलगातेऔरहोलीकेगीतमेंसारेरंजोगमभूलजाते।ढोल,मजीरा,झाल,कर्तालकेकरतलमधुरध्वनिऔरउसमेंफगुआकेगीतसेबुजुर्गभीजवानहोजातेथे।गांवकीसंस्कृतिसेनिकलकरहोलीकीगीतबॉलीवुडतकभलेपहुंचगयाहो,लेकिनहोलीकात्योहारऔरफगुआकागायनआजगांवकेगलियोंमेंकहींखोगयाहै।गांवकेमंदिरोंपरफगुआकागीतधार्मिकतासेपरिपूर्णहोता,तोवहींगांवकेदलानपरगाएजानेवालेगीतमेंथोड़ीमस्तीऔरफूहड़पनाभीदेखनेकोमिलताथा।अबयहसबबीतेदिनोंकीबातहोगई।गांवमेंलोगअबव्यस्तहोगएहैं,जिससेसामाजिकसरोकारकमहोताचलागया।गायनमंडलीभीबिखरगई।कहीं-कहींअबगायनकेलिएसाजबाजभीनहींबचाहै।लोगअबअपनेघरमेंटीवीऔरमोबाइलमेंहीहोलीकेगीतकाआनंदलेरहेहैं।यहीकारणहैकिसामाजिकसमरसताअबगांवसेभीसमाप्तहोतीजारहीहै।लोगधीरे-धीरेएकांकीजीवनकीओरबढ़रहेहैं।ऐसेमेंहमारेसैकड़ोंसालकीसांस्कृतिकपरंपरादफनहोनेकेकगारपरहै।युवापीढ़ीमेंफगुआकेगीतकेप्रतिरुचिनहींहै।