जागरणसंवाददाता,भुवनेश्वर:प्राथमिकसरकारीस्कूलोंसेबच्चोंएवंउनकेअभिभावकोंकालगातारमोहभंगहोतेएवंनिजीस्कूलोंकेप्रतिबढ़ताझुकावप्राथमिकसरकारीविद्यालयोंकेभविष्यकोलेकरबुद्धिजीवियोंमेंआशंकाप्रकटकीजानेगीहै।राज्यविद्यालयएवंजनशिक्षाविभागसेमिलेतथ्यकेमुताबिक2009-10मेंपहलीकक्षासेलेकरआठवींकक्षातककुल66लाख21हजार741बच्चेपढ़ाईकररहेथे।इसमेंसेसरकारीस्कूलमेंपढ़नेवालेबच्चोंकीसंख्या60लाख72हजार580थीएवंनिजीस्कूलमें5लाख49हजार161बच्चेपढ़ाईकररहेथे।निजीस्कूलोंमेंपढ़नेवालेबच्चोंकाप्रतिशत8.29फीसदथा।वर्ष2016-17मेंकुलबच्चोंकीसंख्या61लाख98हजार25थी।इसमेंसेसरकारीस्कूलमेंपढ़नेवालेबच्चोंकीसंख्या51लाख58हजार905तकपहुंचगईहै।निजीस्कूलोंमेंपढ़नेवालेंबच्चोंकीसंख्या5.49लाखसेदुगुनाबढ़कर10लाख39हजार120तकपहुंचगईहै।वर्तमानसमयमेंसरकारीस्कूलकीतुलनामेंनिजीस्कूलमेंबच्चोंकीसंख्या16.77प्रतिशतबढ़ीहै।यदिपिछले8सालकेरिकार्डदेखाजाएतोनिजीस्कूलमेंपढ़नेवालेबच्चोंकीसंख्या102.29प्रतिशतबढ़ीहै।इसतरहकेसरकारीतथ्यनिश्चितरूपसेसरकारीस्कूलोंकेलिएखतरेकासंकेतहैं।यहांउल्लेखनीयहैकिमुफ्तमेंभोजन,मुफ्तमेंकापीएवंड्रेसआदिसरकारीस्कूलोंमेंमिलनेकेबावजूदसरकारबच्चोंकोसरकारीस्कूलोंकीतरफआकर्षितनहींकरपारहीहै।इसकेलिएस्कूलोंमेंशिक्षकोंकीकमी,बार-बारनीतिनियममेंबदलाव,स्कूलकीआधारभूमिआदिकोजिम्मेदारमानाजारहाहै।खासकरमुफ्तमेंअनिवार्यशिक्षाकानूनकोभीशिक्षाअधिकारीठीकसेकार्यकारीनहींकरपारहेहैं।जानकारोंकामाननाहैकिसरकारीप्राथमिकविद्यालयोंमेंइसतरहसेबच्चोंकीकमीओडिआभाषाकेवर्तमानएवंभविष्यकेलिएभीखतराकासंकेतहै।
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