जागरणसंवाददाता,नाहन:सिरमौरजिलेकेकुछक्षेत्रोंमेंआजभीलोगोंनेपारंपरिकरीति-रिवाजसंजोरखेहैं।इनमेंएकहैनालबड़ियां(डंडी)लगानेकीप्रथा।सिरमौररियासतकेसमयसेधारटीधार,सैनधारऔरपच्छादक्षेत्रमेंआजभीनालबड़ियांलगाईजातीहैं।पहलेयहकार्यक्रमधूमधामसेमनायाजाताथा।आजइसकीजगहमोबाइल,टीवीऔरअन्यमनोरंजनकेसाधनोंनेलेलीहै।बुजुर्गविद्यादेवी,कांतादेवीवलाजवंतीदेवीबतातीहैंकियहआयोजनमार्गशीर्षकीसक्रांतिसेशुरूहोताहैऔरपूरेमहीनेचलताहै।पूरेगांवमेंहरघरमेंबारी-बारीसेइसकाआयोजनकियाजाताहै।उन्होंनेबतायाकिपहलेयहकार्यक्रमशानदारढंगसेहोताथा।पूरेगांवकोआयोजनकेलिएआमंत्रितकियाजाताथा।शामकेसमयगांवकीसारीमहिलाएंएकत्रितहोकरइन्हेंलगातीथी।इसदौरानपारंपरिकगीतभीगाएजातेथे।उन्होंनेबतायाकिदावतअनुसारलोगोंकोउगलीहुईमक्कीशकरकेसाथ,कोलथीवगेहूंकामूड़ाखानेकोदियाजाताथा।अबइसकेस्थानपरकालेचनेवअन्यसामग्रीलोगोंमेंबांटीजातीहै।इसकेअलावाचायपानकीव्यवस्थाकीजातीहै।
क्याहैनालबड़ियां
उड़द,चनासहितअन्यदालोंकोपीसाजाताहै।फिरइसेआटेकीतरहगूंथाजाताहै।इसकेबादअरबीकीडंडियोंमेंइसकीपुताईकीजातीहै।इसेएकरस्सीमेंटांगाजाताहै।दूसरेदिनइन्हेंछोटेपीसोंमेंकाटकरसुखायाजाताहै।एकसप्ताहतकसुखानेकेबादइसेसुरक्षितरखदियाजाताहै।इसतरहसेयहएकस्वादिष्टखाद्यव्यंजनतैयारहोजाताहै।