देहरादून,किरणशर्मा।प्रवासीअपनेघरोंकोलौटरहेहैं,यहसरकारऔरप्रवासीदोनोंकेलिएलिएसुखदपलहैं।लॉकडाउनकेकड़वेअनुभवोंकोभुलानेमेंअभीवक्तलगेगा,लेकिनअपनीजमींपरलौटनेकीखुशीकोशब्दोंमेंबयांनहींकीजासकती।देशकेतमामराज्योंसेलौटेप्रवासियोंकेचेहरोंकोपढ़नेसेयहबातसाफभीहोरहीहै।उदासचेहरोंपरघरवापसीकानूरझलकरहाहै।पर,भाइयोंक्वारंटाइनमेंईमानदारीकीकमीखटकरहीहै।प्रवासियोंमेंकुछघरआनेकीखुशीमेंनियमकायदोंकोभूलेजारहेहैंतोकुछऐसेभीहैंनियमबतानेपरलोगोंसेलड़ने-भिड़नेचलेआरहेहैं।जरा,सोचोयहकहांतकसही?प्रवासियोंकोइसमुगालतेसेबाहरनिकलनाहोगाकिउनकीजिंदगीमेंदखलकरनेकाकिसीकोकोईअधिकारनहीं।क्वारंटाइनहोनाव्यवस्थाकासम्मानहै,व्यक्गितप्रतिष्ठापारआंचकतईनहीं।
उत्तराखंडमेंप्रवासियोंकेलौटनेकासिलसिलाजारीहै।वर्षोंसेदिल्ली,मुंबईऔरकोलकाताजैसेमहानगरोंमेंदोजूनकीरोटीकासंघर्षएकाएकनएसंघर्षमेंबदलगया।इसचिंताकेबीचकिसीतरह गाड़ीपरसवारहोगए।जिंदगीकीआशाकेबीचभविष्यकीआशंकालियेसफरकटगया।गांवमेंअपनोंकेबीचसुकूनतोहै,लेकिनफिरवहीरोजी-रोटीकीचिंता।दिक्कतयहहैकिगांवमेंजिसखेतीकोछोड़शहरकारुखकियाथा,भविष्यकेलिएअभीतोवहीखेतीआधारकेतौरपरनजरआरहीहै।जबगएथेतोजमीनउर्वरकथी,अबलौटेहैंतोबंजर।बंजरजमीनकोआबादकरनेकेलिएपसीनातोबहानाहीहोगा।सरकारभीमददकोआगेआरहीहै,लेकिनगांवमेंनतोहलहीरहगएहैंऔरनबैल।हललगानेकीआदतभीतोनहींरही।
मईमेंमौसमकीउलटबांसियांखूबदेखनेकोमिलीं।ओलोंकीबारिशकेसाथबौछारेंभीहुईं।किसानोंकेलिएयहमौसममायूसीकारहा,लेकिनआमआदमीभीराहतमहसूसनहींकररहाथा।वजहवहीकोरोना।लोगोंकोभयसतारहाहैकिमौसममेंठंडजितनीदिनतकघुलीरहेगी,कोविडवायरसउतनीदेरतकजीकाजंजालबनारहेगा।हालांकिवैज्ञानिकभीकहरहेहैंकिअभीतकऐसाकोईप्रमाणनहींमिलाहैकितापमानबढ़नेपरवायरसखत्महोजाएगा।वजहयहहैकिराजस्थानमेंपाराखासीउछालभरचुकाहै,बावजूदइसकेवहांकोविडकेमामलोंमेंदिनोंदिनवृद्धिहीहोतीजारहीहै, वैज्ञानिकभलेहीकुछभीकहें,लेकिनजोबातएकबारदिमागमेंघरकरगईआसानीसेनहींनिकलती।खैरभगवाननेसुनलीऔरपाराभीकुलांचेभरनेवालाहै।बसकोरोनाकाबूहोजाए।
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गांधीजीनेकहाथाकिभारतगांवोंमेंबसताहै।उन्होंनेवर्षोंपहलेग्रामीणभारतकीअर्थव्यवस्थाकोमजबूतबनानेपरजोरदियाथा,लेकिनआधुनिकताकेबदलतेस्वरुपकेबीचबापूकीबातपरभीवक्तकीगर्दचढ़तीचलीगई।आजएकबारफिरकोरोनानेइसधूलकोझाड़दियाहै।इनदिनोंमाइग्रेशनकाजोदौरहै,उसनेसिद्धकरदियाहैकिगांवहीदेशकामूलआधारहैं।यदिगांवोंपरफोकसकियाजाएतोआपातस्थितिकामजबूतीसेसामनाकियाजासकताहै।उत्तराखंडकेगांवोंकोहीलें,वर्ष1990केबादपलायननेरफ्तारपकड़ीतो1700सेज्यादागांवजनशून्यहोगएऔरऐसेगांवोंकीसंख्याभीसैकड़ोंमेंहै,जहांमुठ्ठीभरलोगहैं।कोरोनाकीदहशतकेबीचलोगअपनेगांवोंकोलौटरहेहैं।गांवोंकीमिट्टीसुरक्षाकाएहसासकरारहीहै।
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