हमीरपुर,[जागरणस्पेशल]।UniqueDangalStoryभारतीयसंस्कृतिमेंप्रत्येकपर्वकाेमनानेकेअलग-अलगतरीकेहैं।जैसेसभीत्योहाराेंकोमनानेकेपीछेकोईनकोईइतिहासवैसेहीउसेमनानेकेतरीकेकेपीछेभीकोईरहस्यहोताहै।यहांहमबातकररहेहैंबुंदेलखंडकेहमीरपुरमेंहोनेवालीमहिलाकुश्तीदंगलकी,जहांपुरुषोंकेप्रवेशपररोकरहतीहै।दरअसल,यहांकेमुस्करावआसपासकेगावोंमेंरक्षाबंधनकेदूसरेदिनकजलीकात्योहारबड़ेहीहर्षोल्लासकेसाथमनायाजाताहै।वहींदूसरीओरलोदीपुरनिवादागांवमेंमहिलादंगलकाभीआयोजनकियाजाताहै।जिसमेगांवकीहीमहिलाएंअपनीकलाकाप्रदर्शनकरतीहैं।
अपनीसंस्कृतिकेजानाजाताहैबुंदेलखंड:मुस्कराविकासखंडक्षेत्रकेअधिकांशगांवोंमेरक्षाबंधनपरमहिलाएंसुंदरपरिधानवसिरमेंकजलीकाखप्पररखेहुएमंगलगीतगातेहुएमिलजाएंगी।वहएकसमूहमेंगांवकीपरिक्रमाकरतीहैं।जगह-जगहपरबुंदेलीलोकसंस्कृतिकेकार्यक्रमोंकाआयोजनकियाजाताहै।कहींझूलोंमेंझूलतीमहिलाएंकहींआल्हागायनतोकहींदंगलकेआयोजनबुंदेलखंडकीसंस्कृतिकोदर्शाताहै।
महिलादंगलकेआयोजनकेपीछेयहहैवजह:जिलेमेंएकक्षेत्रलोदीपुरनिवादाभीहै,जहांबीतेकईवर्षोंसेचलेआरहेमहिलाओंकेदंगलकाआयोजनभीरक्षाबंधनकेदूसरेदिनकियाजाताहै।ग्रामीणोंसेजबइसमहिलाओंकेदंगलकेबाबतजानकारीजुटाईगईतोउन्होंनेबतायाकियहदंगलदेशकीआजादीकेपहलेसेहीलगताआरहाहै।गांवकेहीसेवानिवृत्तअध्यापकजगदीशचंद्रजोशीनेबतायाकिहमारेबुजुर्गोंनेइसदंगलकेबारेमेंप्रचलितकहानीबतातेहुएजानकारीदीथीकिअंग्रेजोंद्वाराकिएजारहेअत्याचारोंकासामनाकरनेवआत्मरक्षाकेलिएहीउससमयकीमहिलाओंद्वाराइसप्रथाकीशुरुआतकीगईथी।जोनिवादागांवकेपुरानेबाजारस्थलमेंलगताहै।इसदंगलमेंगांवकीमहिलाएंअपनेदाव-पेचदिखातीहैं।इसकुश्तीआयोजनकेदौरानगांवमेंपुरुषोंकाप्रवेशवर्जितरहताहै।रक्षाबंधनकेदूसरेदिनहोनेबालेमहिलादंगलमेंदोदर्जनसेभीअधिककुश्तियांखेलीजातीहैं।जिसमेंमहिलाएंखुदहीढोलबजातींहैंऔरसभीकाउत्साहवर्धनकरतींहैं।