संवादसूत्र,माछरौली:दिनहोयारातबंदरोंकीटोलियांयहांगांवकेघरकीछतोंऔरगलियोंमेंघूमतीरहतीहै।जिसकेचलतेबच्चों,महिलाओंऔरबुजुर्गोंकाघरसेनिकलनाभीदूभरहोरखाहै।स्थितियहआनबनीहैकिगांवकेबाजारऔरचौपालमेंभीबंदरआने-जानेवालेलोगोंकोअपनानिशानाबनारहेहै।ग्रामीणोंद्वारासरपंचकोसमस्यासेअवगतकरवानेकेबावजूदभीसमाधाननहींहोपारहाहै।जिसकेचलतेग्रामीणोंमेंरोषबनाहुआहै।ग्रामीणराकेश,लाला,रमेश,काले,सतपाल,झमनकाकहनाहैकिबंदरोंकेडरकेकारणबच्चोंनेगलियोंमेंखेलनाभीबंदकरदियाहै।बंदरघरकेअंदरसेभीसामानउठाकरलेजातेहैऔरछतोंपरसूखरहेकपड़ोंकोभीफाड़देतेहै।ग्रामीणोंनेबंदरोंसेबचनेकेलिएघरोंकीछतोंपरलोहेकीजालियांभीलगवालीहै।फिरभीहालातनहींसुधररहेहै।
इधर,कईदफामहिलाओंऔरबच्चोंकोकाटभीचुकेहै।गंभीरसमस्यासेपरेशानग्रामीणोंनेजिलाप्रशासनसेसमस्याकेसमाधानकीगुहारलगाईहै।लेकिनफिरभीहालातनहींसुधरनेसेवहदिक्कतमेंहै।