संवादसूत्र,उचाना:भारतीयसेनामेंमेजरकेपदपरकार्यरतखरकभूरागांवकेअशोकश्योकंदकर्नलबनगए।उनकागांवमेंमंगलवारदेरशामपहुंचनेपरग्रामीणोंनेस्वागतकिया।गांवमेंआठवींकीपढ़ाईकरनेकेबादअशोकने10वींगीताविद्यामंदिरस्कूलउचानामंडी,12वींआर्यसीनियरसेकेंडरीस्कूलनरवानाकेबादकॉलेजकीपढ़ाईकेएमकॉलेजनरवाना,एमबीएएमडीयूनिवसिर्टीरोहतकसेकी।भारतीयसेनामें26अक्टूबर1994मेंक्लर्ककेतौरपरभर्तीहुए।चारसालकेबादथलसेनामेंकमीशनमिलनेकेबादलेफ्टिनेंटबने।लेफ्टिनेटबननेकेबादवोकैप्टनबने।शोकश्योकंदनेबतायाकिआजवोजिसमुकामपरहैवोउनकेपितास्व.करतारश्योकंदकीदेनहै।उनकेपरिवारकाशुरूसेहीफौजीकोलेकररूझानरहाहै।उनकाबड़ाभाईदलबीरएयरफोर्ससेरिटायर्डहोचुकेहैतोउनकाभतीजाराहुललेफ्टिनेंटलगाथाजोअबकैप्टनबनचुकाहै।उनकेपितास्व.करतारश्योकंदहमेशाउनकेप्रेरणास्रोतरहे।युवाओंकोचाहिएकिवोअपनालक्ष्यअवश्यनिर्धारितकरें।बिनालक्ष्यनिधररितकरेंआपआगेनहींबढ़सकतेहै।युवास्कूलस्तरसेहीयहतयकरेकिउन्हेंक्याजीवनमेंआगेजाकरकरनाहैतोउसलक्ष्यकोप्राप्तकरवोकड़ीमेहनतकरउसकोपासकें।इसमौकेपरकृष्णश्योकंद,साधुराम,दीदारसिंह,चांदीराम,केहरसिंह,सत्यवान,मनोज,राजामौजूदरहे।
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