वाराणसीकुमारअजय।आद्यशंकराचार्यकीविशुद्धसनातनव्यवस्थाओंकेपरिपोषकहोतेहुएभीब्रह्मलीनमहंतरामेश्वरपुरीजीमहाराजसोचऔरजीवनदर्शनकेस्तरपरकबीरकेकहींज्यादानजदीकतरनजरआतेथे।छुआछुत,जाति-पातिवधर्मपंथसंप्रदायोंकेरुढिवादिदायरेउन्हेंकभीबांधनहींपाए।अपनेसंस्कारोंसेरंचमात्रभीविरतनरहतेहुएभीउन्होंनेसर्वधर्मसमभावकीबयारकेक्रासवेंटिलेंशनकेलिएअपनेदिलो-दिमागकीखिड़कियांहमेशाखुलीरखीं।अपनेरास्तेपरअडिगरहेकिंतुअन्यदिशाओंकीओरजानेवालेरास्तोंपरबंदिशोंकीबाणकभीनहींबांधी।उनकास्पष्टमाननाथाकिहमसभीजितनेनजदीकआएंगे,बहुरंगीनदियोंकेसंगमवालीराष्ट्रकीमुख्यधाराकोउतनाहीप्रवाहमानबनापाएंगे।
माताअन्नपूर्णेश्वरीकीगोदमेंचिरविश्रामकोप्राप्तमहंतरामेश्वरपुरीसेमेरीबसएकभेंटकोई10-12सालपहलेहुईथी।मैंउन्हेंएकऐसेसमारोहकेलिएआमंत्रितकरनेगयाथाजिसमेंउनकीउपस्थितिकीसंभावनाओंकीकुंडीपरमित्रोंनेपहलेहीअसंभवकातालाजड़दियाथा।हुआयूंथाकिकुछमसीहीऔरकुछगैर-मसीहीयुवाओंनेउसवर्ष25दिसंबरकोप्रभुईशामसीहकेजन्मदिनपरअपनेप्रकल्प(सबकापर्वमनाओनजदीकियांबढाओ)केतहतपराड़करस्मृतिभवनमेंएकसायंकालीनसमारोहकाआयोजनकररखाथा।सभीकीइच्छाथीकिमुख्यअतिथिकेतौरपरशिशुयीशुकोपालनाझुलाकरमहंतजीहीनगरवासियोंको(मेरीक्रिसमस)कीशुभकामनाएंदे।साथहीवहांमौजूदअनाथालयकेबच्चोंकोस्वेटरकाउपहारभेंटकरें।
युवाओंकीमनुहारकाटोकरासाथलिएलगभगअसमंजसकीस्थितिमेंहीमैंमहंतजीसेमिला।मंतव्यबतायाऔरसकुचातेहुएहीआमंत्रणपत्रआगेबढ़ाया।जैसीकीआशंकाथीकिवहांबैठेकुछलोगोंने(आर्यधर्मेंतराणां...।)जैसेतर्कोंकीदुहाईदेनेकीकोशिशभीकी।किंतुमहंतजीकाबेलौसजवाबथा-माताअन्नपूर्णाकाप्रतिनिधिहूं,जिसनेक्षुधातृप्तिकेरुपमेंराम-रहीम,कृष्म-करीम,यीशूवजरसथ्रोससबकापोषणकियाहै।इसलिएमैंतोसभीकासेवकहुआ।कड़ाकेकीउसशीतलहरीकीशाममहंतजीजबअपनीछड़ीटेकतेसमारोहमेंपधारेतोआयोजकतरूणऔरतरूणियांअभीमंचसज्जामेंहीव्यस्तथे।महंतजीकाबड़पप्नकिउन्होंनेबड़ीसहजताऔरधैर्यकेसाथविलंबकेपूरेदोघंटेबच्चोंसेबसयूंहीबोलतेबतियातेकाटे।किंचितभीहड़बड़ीनहींदिखाई।खुलेमनसेसबकोक्रिसमसकीबधाईदी।शिशुयीशूकोपालनाझुलाया।नौजवानोंकीजिदपरकेकभीकाटा।अपनेहाथोंसेअनाथबच्चोंकोस्वेटरपहनायाऔरक्रिसमसकीत्योहारीभीदी।आमतौरपरमहंतजीबाहरकुछभीग्रहणकरनेसेपरहेजकरतेथे,किंतुबालहठकामानरखतेहुएउन्होंनेवहांमुंहभीमीठाकिया।बच्चोंकोभरपूरआशीर्वाददेकरवहांसेविदापाया।