(उज्मीअतहर)नयीदिल्ली,28मई(भाषा)बालअधिकारोंकीदिशामेंकामकरनेवालेगैर-सरकारीसंगठनों(एनजीओ)नेपिछलेदोवर्षोंमेंकोविड-19महामारीकेसामाजिकप्रभावकेकारणबच्चोंकीगुमशुदगीकेमामलोंमेंजबरदस्तवृद्धिदर्जकीहै।स्थितिकोबिगड़नेसेरोकनेकेलिएइनसंगठनोंनेग्रामस्तरपरबालसंरक्षणसमितियोंकोतत्कालमजबूतकरनेऔरअभिभावकोंकोसंवेदनशीलबनानेतथाउन्हेंजरूरीप्रशिक्षणदेनेकाआह्वानकियाहै।उन्होंनेसरकारसेइसबाबतपर्याप्तबजटआवंटितकरनेकाआग्रहभीकियाहै।राष्ट्रीयअपराधरिकॉर्डब्यूरो(एनसीआरबी)केहालियाआंकड़ोंकेमुताबिक,साल2020मेंभारतमें59,262बच्चेलापताहुएथे,जबकिपिछलेवर्षोंमेंखोए48,972बच्चोंकापतानहींलगायाजासकाथा,जिससेदेशमेंगुमशुदाबच्चोंकीकुलसंख्याबढ़कर1,08,234परपहुंचगईथी।एनसीआरबीकेअनुसार,साल2008से2020केबीचबच्चोंकीगुमशुदगीकेसालानामामलेलगभग13गुनाबढ़गए।2008मेंदेशमेंलापताहुएबच्चोंकीसंख्या7,650थी।कैलाशसत्यार्थीफाउंडेशनकीसहयोगीसंस्था'बचपनबचाओआंदोलन'(बीबीए)केकार्यकारीनिदेशकधनंजयटिंगलनेबतायाकिपिछलेदोवर्षोंमेंबीबीएनेदेशभरमेंलगभग12,000बच्चोंकोबचायाहै।टिंगलने''पीटीआई-भाषा''सेकहा,"हमारेपासयहसाबितकरनेकेलिएपर्याप्तसबूतहैंकिमहामारीकीदस्तककेबादबालतस्करीकईगुनाबढ़गईहै।"एनजीओ‘चाइल्डराइट्सएंडयू’(क्राई)कीहालियारिपोर्टकेमुताबिक,साल2021मेंमध्यप्रदेशमेंरोजानाऔसतन29औरराजस्थानमें14बच्चेलापताहुए।यहरिपोर्टसूचनाकाअधिकार(आरटीआई)कानूनकेतहतदायरएकआवेदनसेमिलीजानकारीपरआधारितहै।टिंगलनेकहा,''कुछबच्चोंकीतस्करीउनकेमाता-पिताकीसहमतिसेकीजारहीथी,जबकिकुछअपनीमर्जीसेतस्करोंकेसाथगए।बहरहाल,इनमेंसेअधिकांशबच्चेलापताहैं।"उन्होंनेरेलवे,रोडवेजऔरअन्यपरिवहनसेवाओंकेकर्मचारियोंसेआग्रहकियाकिअगरउन्हेंकोईअकेलाबच्चायाभीखमांगनेवालाबच्चादिखताहैतोवेतुरंतइसकीसूचनादें।टिंगलनेकहा,"ऐसेबच्चोंकोसरकारीसुरक्षाकेदायरेमेंलायाजानाचाहिए।"‘सेवदचिल्ड्रन’मेंबालसंरक्षणसेजुड़ेमामलोंकेउप-निदेशकप्रभातकुमारनेकहा,''बढ़तीगरीबीबच्चोंकेलापताहोनेयातस्करीकाशिकारबननेकाएकप्रमुखकारणहै।''उन्होंनेकहाकिस्कूलीशिक्षातकपहुंचनहोनेऔरकोविड-19केकारणसीखनेकीप्रक्रियाबाधितहोनेकेकारणभीस्थितिखराबहुईहै।क्राईकीक्षेत्रीयनिदेशक(उत्तर)सोहामोइत्रानेकहा,“ग्रामीणक्षेत्रोंमेंकईपरिवारपहलेसेहीकर्जमेंडूबेथे।महामारीकेकारणउनपरआर्थिकबोझऔरबढ़गयाहै।ऋणवापसकरनेकेदबावनेऐसेपरिवारोंकेबच्चोंकीतस्करी,बालश्रमऔरबालविवाहकोबढ़ावादियाहै।”उन्होंनेकहाकिमास्ककेइस्तेमालकीअनिवार्यतासेअक्सरतस्करोंऔरअपहरणकर्ताओंकीपहचानकरनामुश्किलहोजाताहै।मोइत्राकेअनुसार,"संबंधितसरकारीविभागोंकोस्थानीयप्रशासनिकनिकायोंऔरनागरिकसमाजसंगठनोंकेसहयोगसेबच्चोंकीशिक्षाकेमहत्वकोलेकरजागरूकताफौलानेकेलिएनियमितरूपसेआगेआनाचाहिए।"2020मेंलगभगचारमहीने(मार्चसेजूनतक)पूर्णलॉकडाउनहोनेकेबावजूदकुल59,262बच्चोंकीगुमशुदगीकीरिपोर्टदर्जकीगईथी,जिनमें13,566लड़के,45,687लड़कियांऔरनौट्रांसजेंडरशामिलहैं।एनसीआरबीकेआंकड़ोंकेमुताबिक,लापतालड़िकयोंकीसंख्या2018मेंलगभग70प्रतिशतसेबढ़कर2019में71प्रतिशतऔर2020में77प्रतिशतहोगई।दूसरीओर,पिछलेवर्षोंमेंलापताबच्चोंकीसंख्या2018मेंकुलगुमशुदाबच्चोंकालगभग42प्रतिशत,2019में39प्रतिशतऔर2020में45प्रतिशतथी।
Related Stories
Oct 16, 2022
Oct 16, 2022
Oct 16, 2022